भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे।। कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥ तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥ जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥ अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥ कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी । स्वामी एक है आस https://andresifjuh.answerblogs.com/29942896/the-5-second-trick-for-lyrics-of-shiv-chalisa